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पंचमढ़ी यात्रा-जबलपुर से पंचमढ़ी भाग -2

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पंचमढ़ी यात्रा जबलपुर से आगे......                धुआँधार घूमने के बाद हम लोग पंचमढ़ी की ओर चल पड़े नागपुर हाइवे पकड़ कर सिवनी व छिन्दवाड़ा के रास्ते क़रीब दोपहर के तीन बजे के बाद हम लोग धुआँधार से निकले तो हम थोड़ा दूर चलने के बाद सुरेन्द्र जी  भूख सताने लगी थी तो (जैसा मैंने पहले भाग में बताया  था कि सुबह जो नाश्ता सुरेन्द्र जी ने कराया था )के बाद कुछ खाया नहीं था एक चाय ज़रूर पि ली थी रीवा जबलपुर व नागपुर तिराहे पर उसके बाद हमने कुछ खाया नहीं था तो कुछ दस किलोमीटर बाद एक ढाबे पर खाना खाने के लिए रुके और खाना खाने  के बाद निकल पड़े मंज़िल की ओर एक बाइक पर तीन लोग परेशानी तो हो रही थी पर हम सहन कर रहे थे पर सुरेन्द्र जी अपने नाज़ुक शरीर को कष्ट देने  में बहुत परेशान होते है तो बह वार वार आगे पीछे हिलना  जगह बदल के बैठने  की ज़िद कर रहे थे पर हम कहा सुन ने वाले थे इस यात्रा में सड़के इतनी अच्छी मिली कि सड़के गड्डा मुक्त व भीड़ भाड़ मुक्त बहुत मज़ा आया                                                            सुंदर सड़क इन सड़कों पे बाइक चलाने में और हम लोग सड़क व चारों त

मेरी पंचमढ़ी यात्रा -[टीकमगढ़ से जबलपुर तक ]

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  दोस्तों                ये मेरी पहली यात्रा जो अगस्त 2015  अपने दो दोस्तों के साथ की थी उसका वृतान्तमें आप लोगों के लिए लिख रहा हु वैसे लिखने में मेरी कोई रुचि नही है पर बहुत विचार के बाद मैंने लिखना शुरू किया है                                                   जटाशंकर जाते समय ली गयी फ़ोटो   .......................यात्रा की शुरुआत जौनपुर से रेल द्वारा होती है मैं एक मित्र जिनका नाम सुरेन्द्र है मैं और सुरेन्द्र जी दोनो लोगों ने झाँसी तक टिकट करायी और निकल पड़े सीट हमारी कन्फ़र्म थी तो हम दोनो अब रेलवे स्टेशन पर रेल का इंतज़ार करने लगे और रेल अपने निर्धारित समय पर आ गयी और हमने अपनी यात्रा प्रारम्भ कर दी अब हमें इंतज़ार था झाँसी पहुँचने का और हम लोग ३० मिनट देरी से झाँसी पहुँच गए झाँसी में मेरा एक मित्र सत्यार्थ प्रकाश हम लोगों का इंतज़ार कर रहा था हमने उसे फ़ोन किया वो हमें लेने स्टेशन आ गया हम उसके कमरे पर जा के नित्य क्रिया से निव्रत होकर उसने चाय बनायी और ब्रेड का नाश्ता किया और हमने उसकी बाइक ले के औरछा के रास्ते टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश )के लिए चल